Printer kya hai hindi

Printer kya hai hindi 2023 | प्रिंटर क्या है और इसके कितने प्रकार होते है

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प्रिंटर एक आउटपुट उपकरण है इसका इस्तेमाल आउटपुट को पेपर पर छापने के लिए करते है। Printer kya hai hindi प्रिंटर द्वारा दिए गए प्रिंट को प्रिंट आउट कहा जाता है। आवश्यकता, बजट और कार्य क्षमता के अनुसार प्रिंटर काफी तरहा के होते है। तो आइये जान लेते प्रिंटर क्या है और प्रिंटर के कितने प्रकार होते है :

प्रिंटर क्या है? Printer kya hai hindi

प्रिंटर, कंप्यूटर का एक आउटपुट उपकरण है जो की कंप्यूटर के इनफार्मेशन और आउटपुट डाटा को पेपर पर प्रिंट करती है। आसान शब्दों में प्रिंटर एक हार्डवेयर उपकरण है जो की कंप्यूटर डाटा को लेकर उस डाटा की हार्ड कॉपी बनाने का कार्य करती है। प्रिंटर सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले कंप्यूटर उपकरणों में से एक है और इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल तस्वीरे, इमेजेस प्रिंट और दस्तावेज प्रिंट करने के लिए किया जाता है।

प्रिंटर काफी प्रकार के आते है अलग तरहा के होने की वजह से प्रिंटर के कार्य करने तथा प्रिंट करने का तरीका भी अलग हो जाता है साथ ही इनके प्रिंट करने की गुणवत्ता और गति भी भिन्न होती है। अलग-अलग तरह के प्रिंटर, पेपर पर प्रिंट करने के अलावा लकड़ी, प्लास्टिक, मेटल या किसी भी ढोस सतह पर भी प्रिंट कर सकते है।

प्रिंटरों को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए भिन्न भिन्न इंटरफ़ेस वाले केबल्स प्रयोग में लाये जाते है। जिनमें ईथरनेट पोर्ट, फायर वायर पोर्ट, USB पोर्ट, सीरियल पोर्ट, वायरलेस और ब्लूटूथ शामिल है। वर्तमान में प्रिंटर्स USB पोर्ट वाले अधिक होते है।

Printer की परिभाषा (Printer Definition in Hindi)

वह इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जो कंप्यूटर के सॉफ्ट कॉपी को हार्ड कॉपी में बदलने का कार्य करता है, प्रिंटर कहलाता है। प्रिंटर कंप्यूटर से जुड़कर उससे प्राप्त जानकारी को कागज पर छाप देता है। कागज पर आउटपुट दी हुई प्रति को हार्ड कॉपी कहते है। प्रिंटर कंप्यूटर का आउटपुट डिवाइस होता है।

प्रिंटर का आविष्कार किसने किया | Printer kya hai hindi

कंप्यूटर के इतिहास की बात करे तो सबसे पहला प्रिंटर साल 1953 में इस्तेमाल किया गया था जो की Remington-Rand कंपनी द्वारा UNIVAC द्वारा बनाया गया थे। साल 1957 में IBM कंपनी द्वारा दुनिया का पहला डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर बनाया गया। आगे आगे प्रिंटर के क्षेत्र में बहुत से अविष्कार होते चले गए ।

वर्ष 1983 चेस्टर कार्लसन नाम के वैज्ञानिक हुए जिन्होंने इलेक्ट्रोफोटोग्राफिक ड्राई प्रिंटिंग प्रोसेस तकनीक का अविष्कार किया था। जिसे हम ज़ेरॉक्स के नाम ने जानते है । ज़ेरॉक्स तकनीक को ही लेज़र प्रिंटिंग तकनीक का शुरुवात मानी जाती है।

चेस्टर कार्लसन जब ज़ेरॉक्स तकनीक पर कार्य कर रहे थे तो उन्होंने दुनिया के पहले लेज़र प्रिंटर का अविष्कार किया था। लेज़र प्रिंटर का अविष्कार वर्ष 1971 में पूरा हुआ।

प्रिंटर के प्रकार | Types Of Printer

प्रिंटर्स कई प्रकार के होते है जैसे इंकजेट प्रिंटर, लेज़र प्रिंटर, आल इन वन प्रिंटर, थर्मल प्रिंटर, 3D प्रिंटर, डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर आदि। लेकिन वर्तमान में हम जिंतने भी प्रिंटर देखते है वो मुख्यतः इंकजेट और लेज़र प्रिंटर होते है। प्रिंटर्स के कार्य विधि और तकनीक के अनुसार प्रिंटरो की दो मुख्य श्रेणी है: पहला नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर्स और दूसरा इम्पैक्ट प्रिंटर्स।

इम्पैक्ट प्रिंटर

इम्पैक्ट प्रिंटर्स में छोटी छोटी पिंस या मुद्रित हैमर तथा स्याही लगा एक रिबन लगा होता है। जब पिन रिबन पर चोट करती है तो स्याही की छाप पेपर पर लगती रहती है । इसको हम इलेक्ट्रो मेकैनिकल मेकनिज़्म क्रियाविधि के रूप में जानते है।

कंप्यूटर से पेपर पर प्रिंट आदेश देने पर ये पिंस व्यवस्थित रूप से संचालित होकर विभिन्न प्रकार के अक्षर, अंक तथा चित्र छापती है। इसके उदहारण डेज़ी व्हील प्रिंटर और डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर है।

इम्पैक्ट प्रिंटर मुख्यतः दो प्रकार के होते है : लाइन प्रिंटर्स और करैक्टर प्रिंटर्स । आइये इन प्रिंटर के बारे मे भी जान लेते है ।

करैक्टर प्रिंटर्स

कॅरेक्टर प्रिंटर एक बार में पेपर पर सिर्फ एक ही वर्ण छापता है और इसकी छापने की गति भी बहुत धीमी होती है जैसे डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर। इसको सीरियल प्रिंटर भी कहा जाता है। इसकी गति 200 से 400 वर्ण प्रति सेकण्ड होती है लगभग 90 से 180 लाइन्स प्रति मिनट की होती है। कॅरेक्टर प्रिंटर के प्रकार है : डेज़ी व्हील प्रिंटर्स और डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर।

डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर

डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की गति तथा छपाई की गुणवत्ता इसमें प्रयोग होने वाली पिनों की संख्या पर निर्भर करती है। यह प्रिंटर भी 80 कॉलम 132 कॉलम दो तरह की क्षमता में आते है। इसमें प्रिंटिंग का खर्च बांकी प्रिंटरों की अपेक्षा थोडा कम आता है लेकिन प्रिंट की गुणवत्ता और स्पीड दूसरे प्रिंटर्स के मुकाबले मे कम देखी गयी है।

डेज़ी व्हील प्रिंटर्स

डेज़ी व्हील प्रिंटर की कार्य प्रणाली टाइपराइटर की तरह होती है। डेज़ी व्हील प्रिंटर का मुख्य भाग गोलाकार होता है इस व्हील के परिधि में पहले से निर्धारित वर्णमाला और अक्षर होते है। इस व्हील के परिधि की पंखुड़ियों में अक्षर, अंक और चिन्ह होते है। ये प्रिंटिंग व्हील मोटर की सहायता से घूमता है और जब प्रिंट की बारी आती है तो ये रूककर प्रिंट हैमर पेपर पर दबाती है जिससे पेपर पर प्रिंट आता है।

इस प्रिंटर का नाम डेज़ी व्हील प्रिंटर इसलिए पड़ा क्योकि इसके अंदर का जो व्हील होता है एक डेज़ी नामक फ्लावर के जैसा है। डेज़ी व्हील प्रिंटर केवल अंक, अक्षर, और चिन्ह  प्रिंट कर सकते है यानि ये फोटो या किसी भी तरह के ग्राफ़िक्स को नहीं छाप नहीं सकता। इसके प्रिंट करने की गति लगभग 10 से 75 कॅरेक्टर प्रति सेकंड तक की होती है ये एक बहुत ही धीरे चलने वाला प्रिंटर होता है।

लाइन प्रिंटर्स

करैक्टर प्रिंटर की तुलना में ये प्रिंटर तेज होते है। 400 से 6000 इनके प्रिंट करने की क्षमता लगभग प्रति मिनट तक होती है। इसका इस्तेमाल ज्यादातर डाटा सेंटर्स और औद्योगिक क्षेत्र में किया जाता है। इसको बार प्रिंटर्स भी कहा जाता है। ये एक बार में पूरी एक लाइन को छापती है इसलिए इसको लाइन प्रिंटर भी कहते है। प्रिंट करने के लिए प्रिंट हैमर प्रिंटर पेपर पर एक बार में एक साथ दबाव या चोट करती है।

लाइन प्रिंटर्स के प्रकार निम्न है | Printer kya hai hindi

ड्रम प्रिंटर्स

इसमे घूमने वाला एक ठोस सिलेंडर होता जिसकी सतह पर अक्षर, अंक उभरे हुए होते है। जो की ट्रैक्स में बंटे होते है इनका आकर प्रिंटर पर यूज़ किये जाने वाले पेपर के बराबर ही होता है। सभी ट्रैक्स में कॅरेक्टर के समुह होते है और कॅरेक्टर के लिए अलग प्रिंट हैमर लगे हुए रहते है।

जब प्रिंटर पर कंप्यूटर द्वारा प्रिंट कमांड जाती है तो इसमें लगा ड्रम तेजी से घूमता है और जिस कॅरेक्टर की जरुरत होती है उसे जल्दी से प्रिंट हैमर तक पहुचाता है। प्रिंट हैमर कॅरेक्टर को स्याही लिप्त रिबन पर दबाव कर पेपर पर प्रिंट कर देता है। ड्रम हर चक्कर में केवल एक ही लाइन को छापता है। जैसे एक लाइन पूरी हो जाती है तो दूसरे लाइन के लिए प्रिंटर पेपर को ऊपर की ओर धकेल देता है।

चेन प्रिंटर्स

इसमे एक घूमने वाली चैन लगी होती है जिसकी सतह पर कॅरेक्टर के समूह होते है। ये चैन कल पुर्जे की सहायता से इस तरह जुडी होती है की ये प्रिंटर के आदेशनुसार सामानांतर घूम सके। इन प्रिंटर्स में भी प्रिंट करने के लिए हैमर लगे होते है।

प्रिंटर में प्रिंट कमांड मिलने पर इसमें लगा चैन उन कॅरेक्टर के साथ घुमने लगती है और प्रिंट करने की अवस्था में आने पर इसमें लगा हैमर  स्याही लगे फीते पर दबाव डालती है जिससे कॅरेक्टर प्रिंट हो जाते है ।

बैंड प्रिंटर्स

इस प्रिंटर मे स्टील का पट्टा लगा होता है पट्टे के ऊपरी सतह पर कॅरक्टर खुदे होते है। बैंड प्रिंटर्स में भी हैमर होता है पर चैन प्रिंटर की तुलना में इन हैमर की संख्या कम होती है। और हैमर इस तरह लगी होती है की ये पेपर पर प्रिंट पोजीशन के अनुरूप दूसरे जगह पर छाप सकते है।

प्रिंट करते हुए जब ये प्रिंट हैमर सही स्थिति पर पहुँचते है तो ये स्याही से भीगे फीते पर चोट करता है जो की आगे चलकर स्टील के पट्टे पर लिपटता जाता है। जिसकी वजह से पट्टे पर बने कॅरेक्टर पेपर पर छपते चले जाते है क्योकि पेपर, स्टील के पट्टे और स्याही लगे रिबन के बीच में रहता है।

नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर

नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर में एक पुरे पेज को एक बार में प्रिंट करने के लिए आधुनिक कार्यविधिक का प्रयोग किया गया है । इस कारण इन प्रिंटर्स को पेज प्रिंटर्स भी कहा गया है। इस प्रिंटर्स की छपाई करने की गति बहुत तेज होती है और इसमें लार्ज डाटा प्रिंट करने की क्षमता होती है। ये प्रिंटर 800 पेजेस प्रति मिनट की गति से प्रिंट करता है।

आम तौर पर इसके मशीनरी इम्पैक्ट प्रिंटर की तरह कागज से सीधे संपर्क स्पर्श या चोट नहीं करती। इनमें भिन्न भिन्न तकनीकों का प्रयोग होता है जैसे लेज़र, इंकजेट, केमिकल, इलेक्ट्रोस्टैटिक या ज़ेरोग्राफ़िक तकनीक।

प्रिंट करने के लिए इसमे रिबन नहीं होता है और ना ही इसमे मुद्रित हैमर का प्रयोग होता है। इस प्रिंटर की गुणवत्ता बेहतर और तेज गति की होती है। ये तीन तरह के होते है : लेज़र जेट प्रिंटर्स, इंकजेट प्रिंटर्स, और थर्मल प्रिंटर्स ।

नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर्स को निम्न प्रकारों के होते है।

लेज़र प्रिंटर

लेज़र प्रिंटर मे अक्षर, अंक, आकृतियाँ या किसी भी तरह के डाक्यूमेंट् को पेपर पर छापने के लिए जिन भी चीजों की जरुरत होती है उन्हें लेज़र तकनीक के माध्यम से बनाया हुआ होता है। जब प्रिंटर में प्रिंट की कमांड जाती है तो प्रिंटर के अंदर लगे सेलेनियम की परत वाली ड्रम पर लेज़र बीम, विद्युत आवेशों को नियंत्रित कर टेक्स्ट और आकृतियाँ बनाती है।

जितनी बार लेज़र किरणे ड्रम को छूती है, ये ड्रम पर विद्युत् आवेश को बदलती जाती है।  टोनर रिज़र्वायवर की सहायता से ड्रम को घुमाता है, जो की आवेशित भाग के संपर्क में आने पर ड्रम पर आकृतियाँ बनाने की प्रक्रिया करता है इसके पश्चात पेपर पर दबाव और उष्मा के साथ प्रिंट कर कर देता है।

लेज़र प्रिंटर के प्रिंट की गति और गुणवत्ता दुसरो के मुकाबले बहुत ही अच्छी होती है इनका कार्टरिज लम्बे समय तक चलता है। ये प्रिंटर दो तरह के होते है कलर प्रिंटर और मोनो। इस प्रिंटर्स की स्पीड इंकजेट प्रिंटर से भी तेज होती है। इसके प्रिंट करने की क्षमता को PPM पेज प्रति मिनट के हिसाब से मापा जाता है। लेज़र प्रिंटर आसानी से 30 से 40 पृष्ठ एक मिनट में छाप सकता है।

इंकजेट प्रिंटर

इंकजेट प्रिंटर प्रिंट करने के लिए महीन नोजल से जल्दी सूखने वाली स्याही की छोटी छोटी बूंदों के रूप में पेपर पर छोड़ता है। इसमें लगी प्लेटें बूंदों को प्रिंट आदेश देकर पेपर पर निर्देशित करती है जिससे आकृतियाँ एव अक्षर पेपर पर छप जाते है।

स्याही प्रिंटर मे कार्टरिज में संगृहीत होती है। अक्सर सभी मुख्य रंगो के लिए अलग अलग कार्टरिज होते है। जो की पीला, काला, लाल, मैजंटा और हरा, स्यान रंग के होते है। ये प्रिंटर दो प्रकार के होते है : कलर और मोनो ।

थर्मल प्रिंटर

थर्मल प्रिंटर में एक थर्मल पेपर का इस्तेमाल किया जाता है इन पेपर को विशेष रूप से गर्मी के प्रति संवेदनशील परत चढ़ाकर बनाया जाता है। थर्मल प्रिंटर में आकृतियाँ बनाने के लिए विद्युत् से गर्म हुए पिनों को पेपर पर बहुत जोर से दबाया जाता है। ये जितने ज्यादा गर्म होती है इनकी छपाई उतनी ही गहरे काले रंग के होते जाते है। इसलिए जब गर्म पिन पेपर पर पड़ती है तो उससे सम्बंधित एरिया को काला करती जाती।

एफिलिएट मार्केटिंग बिज़नेस कैसे काम करता है

इस तरह के प्रिंटर शोर नहीं करते है । इनका इस्तेमाल ज्यादातर फैक्स मशीनों बिलिंग में किया होता है।

FAQs

इंकजेट और लेजर प्रिंटर में क्या अंतर है | Printer kya hai hindi

इंकजेट प्रिंटर उच्च गुणवत्ता वाले फोटो प्रिंटिंग और कलर डॉक्यूमेंट के लिए बेहतर होते हैं, जबकि लेजर प्रिंटर कम लागत के साथ तेज और ज्यादा डाक्यूमेंट्स प्रिंट करने में बेहतर होते हैं।

प्रिंटर खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए | Printer kya hai hindi

अपने घर या कार्यालय के लिए प्रिंटर खरीदते समय प्रिंटिंग स्पीड, रेसोलुशन, कनेक्टिविटी विकल्प और प्रति पृष्ठ लागत जैसे बातों पर विचार किया जाना चाहिए।

क्या 3 डी प्रिंटर केवल औद्योगिक उपयोग के लिए हैं | Printer kya hai hindi

3 डी प्रिंटर का व्यापक रूप से उद्योगों में उपयोग किया जाता है, हालाँकि व्यक्तिगत उपयोग के लिए भी 3 डी प्रिंटर उपलब्ध हैं, जिससे शौकियों लोगों को विभिन्न वस्तुओं को बनाने की सुविधा मिलती है।

Conclusion – Printer kya hai hindi

इस लेख में हमने Printer kya hai hindi मे पूरी जानकारी बताया है। जिसमें बताया कि Printer क्या है, Printer के प्रकार, Printer की परिभाषा इत्यादि। उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और कुछ नया जानने को जरुर मिला होगा। यह प्रभावशाली लेख आपको कैसा लगा हमें जरुर बताए। अगर कुछ पूछना चाहते हैं। तब कमेंट के जरिए बेझिझक पूछ सकते हैं।

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